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Essay on Cow in Hindi – गाय पर हिंदी में निबंध

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Hindi Essay and Paragraph Writing – Cow  (गाय) for classes 1 to 12

गाय पर निबंध – इस लेख में  गाय को माता क्यों कहते हैं, गाय का भारतीय संस्कृति में महत्व क्या है, गाय का उपयोग क्या है, आदि  के बारे में जानेंगे | गाय को हिंदू धर्म में मां के समान माना गया है और इसे ”गौ-माता” कहकर संबोधित किया जाता है। गाय पूरे विश्व भर में पाई जाती है और इसे पूरे विश्व में एक पालतू जानवर के रूप में ही पाला जाता है। हमारे भारत देश में गाय को हिंदू धर्म में पूजनीय माना गया है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में गाय पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में गाय पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250, 350 शब्दों में अनुच्छेद दिए गए हैं।

  • गाय पर 10 लाइन
  • गाय पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
  • गाय पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • गाय पर अनुच्छेद 6, 7 और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
  • गाय पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

   

गाय  पर 10 लाइन 10 lines on Cow in Hindi

  • गाय एक पालतू जानवर है जिसे कई लोग दूध आपूर्ति के लिए पालते हैं।
  • गाय का मुख्य आहार हरा चारा, भूसा और चोकर होता है।
  • गाय के नर बच्चे को ‘बछड़ा’ और मादा बच्चे को ‘बछिया’ कहा जाता है।
  • गाय के नर बछड़े बड़े होने पर कृषि उद्योग और गाड़ी खींचने के काम आते है।
  • गाय के दूध को अमृत के समान माना जाता है।
  • गाय के दूध से घी, मक्खन जैसे अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ भी बनाये जाते है।
  • गाय के गोबर का उपयोग उर्वरक के रूप में खेतों में उपज बढ़ाने के लिए किया जाता है।
  • गाय के घी और मूत्र का उपयोग कई औषधियां बनाने में किया जाता है। 
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है।
  • हिंदू धर्म में गायों को पवित्र माना जाता है और उसकी हत्या करना महापाप माना जाता है।

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Short Essay on Cow in Hindi गाय पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

गाय पर निबंध – गाय वैदिक काल से ही दूध और अन्य मूल्यवान संसाधनों का स्रोत रही है। प्रारंभ में, गायों का उपयोग मुद्रा के रूप में किया जाता था, और किसी व्यक्ति की संपत्ति उनके पास मौजूद गायों की संख्या से मापी जाती थी। इसके अलावा, हिंदू धर्म में गाय को माता माना गया है और उसकी सेवा करना पुण्य माना जाता है, वहीं उसकी हत्या करना घोर पाप माना जाता है।

गाय पर निबंध/अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

गाय एक जानवर है। उसके चार पैर, दो आंखें और दो कान होते हैं। उसके दो सींग और एक लंबी पूंछ होती हैं। गाय बहुत रंग की होती है। कुछ उजली, कुछ काली, कुछ भूरी होती है। गाय हरा घास और भूसा खाती है और हमें दूध देती है। उसका दूध मीठा और पौष्टिकता से भरपूर होता है और दूध से दही, पनीर और मक्खन जैसे अन्य खाद्य पर्दाथ भी बनाया जाता है, जिसका सेवन सभी लोग करते हैं। इसके अलावा, गाय से प्राप्त गोबर का उपयोग खेती में खाद के रूप में किया जाता है, जिससे फसल की पैदावार बढ़ती है। बहुत से लोग दूध के लिए गायों को पालते है। हिन्दू, गाय को गौमाता कहते है।    Top    

गाय पर निबंध/अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

गाय सभी जानवरों में सबसे उपयोगी जानवर है क्योंकि यह अपने दूध के माध्यम से लोगों का भरण-पोषण करती है। इसके दूध में कैल्शियम व अन्य विटामिन्स होते है जो मजबूत हड्डियों और दांतों के लिए आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त, दही, पनीर, घी-मक्खन आदि जैसे डेयरी प्रोडक्ट भी इसके दूध से बनाया जाता है जो लोगों के दैनिक आहार का हिस्सा होता है। इसलिए बहुत से लोग दूध की आपूर्ति व अन्य जरूरतों के लिए इसे अपने घर पर पालते है। गाय का मुख्य आहार घास और भूसा होता है और इससे प्राप्त होने वाला गोबर कृषि में उर्वरक के रूप में किया जाता है, जिससे फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती है। नर गाय जिन्हें बैल कहा जाता है, का उपयोग खेतों की जुताई या गाड़ी खींचने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त, गाय के घी और मूत्र का उपयोग कई औषधियां बनाने में किया जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। 

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गाय पर निबंध/अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

गाय एक महत्वपूर्ण पालतू जानवर है जो पूरी दुनिया में विभिन्न आकृतियों, रंगों और आकारों में पाई जाती हैं। विश्व स्तर पर गायों की 1000 से अधिक नस्लें हैं। विदेशी नस्ल की गायों को जर्सी बोलते है। भारत में, 30 से अधिक गाय की नस्लें हैं, जिनमें लाल सिंधी, साहीवाल, गिर, देवनी, थारपारकर आदि देश की मुख्य दुधारू गाय की नस्लें हैं। ये नस्लें उच्च गुणवत्ता वाला दूध देती है। जो स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। ऐसा कहा जाता है कि गायों में सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करने की विशेष क्षमता होती है जिससे उनके दूध, घी आदि में स्वर्णक्षार पाये जाते हैं, जो आरोग्य व प्रसन्नता के लिए ईश्वरीय वरदान है। बहुत से लोग दूध की आपूर्ति और उस दूध से अन्य डेयरी उत्पाद बनाने सहित विभिन्न कारणों से अपने घरों में गाय पालना पसंद करते हैं। गायों का स्वभाव नम्र होने के कारण उन्हें संभालना आसान होता है। गाय पालने से दूध की आपूर्ति तो होती ही है साथ ही इनकी सेवा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि भी होती है। इसके अलावा, हिंदू धर्म में गाय को बहुत पवित्र माना जाता है। इनके दूध, धी का पूजा-पाठ अनुष्ठानों और समारोहों में बहुत महत्व रखता है। दूध-घी से पंचामृत बनाया जाता है और घी हवनों में प्रयोग होता है। इसके दूध के अलावा इनके गोबर का भी इस्तेमाल ईंधन और खाद के तौर पर किया जाता है। आज के समय में विज्ञान की मदद से गाय के गोबर से बायोगैस बनाई जाती है, जिसका उपयोग स्थायी ऊर्जा स्रोत का उत्पादन करने के लिए किया जा रहा है। इसके अलावा, गाय के नर बछड़े, जब व्यस्क हो जाते हैं, तो वह खेतों की जुताई और गाड़ियाँ खींचने के काम आते है। 

गाय पर निबंध/अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 300 शब्दों में

गाय, जो हजारों वर्षों से मानव समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है, एक पालतू स्तनपायी जानवर है, जो दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में पाई जाती हैं और कई नस्लों में मौजूद हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अलग विशेषताएं हैं। गायों की सबसे उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक उनका सौम्य और नम्र स्वभाव है। वे आम तौर पर शांत जानवर होते हैं जिससे उनको संभालना आसान होता है। उनके शांतिपूर्ण आचरण व गुणों के कारण हिन्दू धर्मों में उनको विशेष महत्व दिया गया है। गायों को मुख्य रूप से उनके दूध के लिए पाला जाता है, जो एक पोषक तत्व से भरपूर तरल पदार्थ है। जिसका सेवन मनुष्य विभिन्न रूपों जैसे पनीर, मक्खन और दही में करता है। दूध न केवल कैल्शियम का एक उत्कृष्ट स्रोत है बल्कि इसमें अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक विटामिन और खनिज भी शामिल हैं। दूध के अलावा गायों से अनगिनत लाभ मिलते है जैसे जब उनके बछड़े बड़े हो जाते है तो बैल बनकर खेतों में हल चलाने, बैलगाड़ी चलाने के काम आते है तथा इनसे प्राप्त गोबरों का उपयोग उपले बनाने में व कच्चे फर्श को लीपने में किया जाता है साथ ही गोबरो का खेतों में खाद के रूप में इस्तेमाल होता है, जिससे फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी होती है। मनुष्यों के भरण-पोषण के अलावा, गायें अपने पाचन तंत्र के माध्यम से पर्यावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। उनके पास एक अद्वितीय पाचन तंत्र है जिसे जुगाली करनेवाला कहा जाता है, जो उन्हें सेलूलोज़-समृद्ध पौधों को कुशलतापूर्वक तोड़ने की अनुमति देता है। इस प्रक्रिया के दौरान, गायें मीथेन छोड़ती हैं, जो एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करती है। परिणामस्वरूप, गाय का उत्सर्जन पर्यावरणीय स्थिरता पहलों का केंद्र बन गया है, जिससे मीथेन उत्पादन को कम करने के लिए आहार संशोधन और खाद प्रबंधन तकनीकों जैसे नवीन दृष्टिकोण सामने आए हैं। इसके अलावा गायें आय के स्रोत भी है, कई देशों में इनके मांस,  खाल और दूध रोजगार और आर्थिक स्थिरता का जरिया है।   Top  

गाय पर हिंदी में निबंध – Essay on Cow for Class 1 to 12th

गाय पर निबंध – Essay on Cow in Hindi – इस लेख में हम गाय के विषय पर विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे। यह निबंध काफी सरल तथा ज्ञानवर्धक है। इन निबंधों के माध्यम से हमने गाय से जुड़े विभिन्न विषयों जैसे कि गाय को माता क्यों कहते हैं? गाय का भारतीय संस्कृति में महत्व क्या है? गौपालन का इतिहास क्या है? गाय सबसे अच्छा पालतू जीव क्यों है? गाय का खान-पान क्या है? गाय का उपयोग क्या है? आदि पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है।

सामग्री – (Content)

  • गाय की उत्पत्ति
  • गाय की पहचान

गाय की नस्ल व् रंग

गाय की शारीरिक सरंचना

  • गाय की देखभाल और खान-पान
  • गाय का धार्मिक महत्त्व
  • गाय से प्राप्त होने वाले लाभ
  • गाय की वर्तमान दशा

  प्रस्तावना गाय हमारी पृथ्वी पर हजारों वर्षों से विद्यमान है। गाय को हिंदू धर्म में मां के समान माना गया है क्योंकि जिस प्रकार हमारी मां हमारा पूरा ख्याल रखती है उसी प्रकार गाय भी हमें स्वादिष्ट दूध देकर हमें हृष्ट  पुष्ट बनाती है। गाय पूरे विश्व भर में पाई जाती है और इसे पूरे विश्व में एक पालतू जानवर के रूप में ही पाला जाता है। हमारे भारत देश में गाय को हिंदू धर्म में पूजनीय माना गया है। यहाँ पर गाय की हत्या करना एक बहुत बड़ा अपराध है।  विश्व भर में सबसे ज्यादा गाय हमारे भारत में ही पाई जाती है। भारत में गाय को सम्मान की नज़रों से देखा जाता है क्योंकि हिंदू धर्म में कहा जाता है कि गाय के अंदर 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। कई देशों में गाय को पवित्र पशु का दर्जा प्राप्त है और भारत में इसे एक देवी की तरह पूजा जाता है। हिंदू समाज ने गाय को माँ का दर्जा दिया है और इसे ”गौ-माता” कहकर संबोधित किया जाता है।   Top  

गाय की उत्पत्ति गाय की उत्पत्ति की पुराणों में कई प्रकार की कथाएँ मिलती है। पहली तो यह कि जब ब्रह्मा एक मुख से अमृत पी रहे थे तो उनके दूसरे मुख से कुछ फेन (झाग) निकल गया और उसी से आदि-गाय ‘सुरभि’ की उत्पत्ति हुई। दूसरी कथा में कहा गया है कि दक्ष प्रजापति की साठ लड़कियाँ थी उन्हीं में से एक सुरभि भी थी। तीसरे स्थान पर यह बतलाया गया है कि सुरभि अर्थात स्वर्गीय गाय की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय चौदह रत्नों के साथ ही हुई थी। सुरभि से सुनहरे रंग की कपिला गाय उत्पन्न हुई। जिसके दूध से क्षीर सागर बना। भगवत पुराण के अनुसार, सागर मंथान (समुद्रमंथन) के दौरान दिव्य वैदिक गाय (गौ-माता) के निर्माण की कहानी को प्रकाश में लाता है। पांच दैवीय कामधेनु (वैदिक गाय जो हर इच्छा को पूरा करती है), जैसे नंदा, सुभद्रा, सुरभी, सुशीला, बहुला मंथन में से उभरी है और यहाँ से दिव्य अमृत पंचगव्य की उत्पत्ति होती है। कामधेनु या सुरभी ब्रह्मा द्वारा ली गई, दिव्य वैदिक गाय (गौ-माता) ऋषि को दी गई, ताकि उसके दिव्य अमृत पंचगव्य का उपयोग यज्ञ, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए किया जा सके।   Top  

गाय की पहचान हमारे शास्त्रों में गाय को पूजनीय बताया गया है इसीलिए हमारी माताएं बहने रोटी बनाती है तो सबसे पहली रोटी गाय की होती है गाय का दूध अमृत तुल्य होता है। जिस ‘गाय’ का हमारे भारत के वेदों-ग्रंथों में और श्रीमद् भगवत पुराण में वर्णन किया गया है, वह कामधेनु गौ-माता और उनके गौ-वंशज हैं। दिव्य कामधेनु गौ-माता (और उनके गौवंशज) को मुख्य 2 विशेषता हैं – 1. सुंदरकूबड़ (Hump) है। 2. उनकी पीठ पर और गर्दन के नीचे त्वचा का झुकाव है – गलकंबल (Dewlap)। भारत में वैदिक काल से ही गाय का विशेष महत्त्व रहा है। आरंभ में आदान-प्रदान एवं विनिमय आदि के माध्यम के रूप में गाय को उपयोग में लाया जाता था और मनुष्य की समृद्धि की गणना उसकी गो-संख्या से की जाती थी। हिन्दू धार्मिक दृष्टि से भी गाय पवित्र मानी जाती रही है तथा उसकी हत्या महापातक पापों में की जाती है।   Top  

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भारत में गाय की लगभग 30 नस्लें पाई जाती हैं। रेड सिन्धी, साहिवाल, गिर, देवनी, थारपारकर आदि नस्लें भारत में दुधारू गायों की प्रमुख नस्लें हैं। लोकोपयोगी दृष्टि में भारतीय गाय को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। पहले वर्ग में वे गाएँ आती हैं जो दूध तो खूब देती हैं, लेकिन उनकी पुंसंतान अकर्मण्य अत: कृषि में अनुपयोगी होती है। इस प्रकार की गाएँ दुग्धप्रधान एकांगी नस्ल की हैं। दूसरी गाएँ वे हैं जो दूध कम देती हैं किंतु उनके बछड़े कृषि और गाड़ी खींचने के काम आते हैं। इन्हें वत्सप्रधान एकांगी नस्ल कहते हैं। कुछ गाएँ दूध भी प्रचुर देती हैं और उनके बछड़े भी कर्मठ होते हैं। ऐसी गायों को सर्वांगी नस्ल की गाय कहते हैं। गाय के रंग : गाय कई रंगों जैसे सफेद, काला, लाल, बादामी तथा चितकबरी होती है।   Top  

गाय की शारीरिक सरंचना वैसे तो सभी देशों में समान ही पाई जाती है लेकिन गाय की कद-काठी और नस्ल में फर्क होता है। कुछ गाय अधिक दूध देती हैं, तो कुछ कम देती है। गाय का शरीर आगे से पतला और पीछे से चौड़ा होता है। गाय के दो बड़े कान होते हैं, जिनकी सहायता से वे धीमी-धीमी और अधिक तेज आवाज भी सुन सकती है। गाय की दो बड़ी आंखें होती हैं, जिनकी सहायता से भी लगभग 360 डिग्री तक देख लेती है। गाय एक चौपाया पशु है और चारों पैरों में खुर्र होते है, जिसकी सहायता से वह किसी भी कठोर स्थल पर चल सकती है। गाय का एक मुँह होता है, जो ऊपर से चौड़ा और नीचे से पतला होता है। इसके पूरे शरीर पर छोटे-छोटे बाल होते है। गाय के एक लंबी पूछ होती है, जिसकी सहायता से वे अपने शरीर पर लगी हुई मिट्टी को तथा मक्खियों को हटाती रहती है। गाय के 4 थन होते हैं और इसकी गर्दन लंबी होती है। गाय के मुँह के सिर्फ निचले जबड़े में 32 दाँत पाए जाते हैं, इसीलिए गाय लंबे वक्त तक जुगाली कर के खाने को चबाती है। गाय के एक बड़ी नाक होती है। गाय के दो बड़े सींग होते हैं। परन्तु कुछ नस्लों की गायों के सींग नहीं होते।   Top   गाय की देखभाल और खान-पान

विभिन्न देशों में अलग आकृति और आकार की गाय पायी जाती है। हमारे देश में यह छोटे कद की होते हैं जबकि कुछ देशों में यह बड़े कद-काठी और शारीरिक बनावट की होती है। इसकी पीठ लम्बी और चौड़ी होती है। हमें गाय की अच्छी तरह से देखभाल करनी चाहिए और उसे अच्छा भोजन और साफ पानी देना चाहिए। यह हरी घास, भोजन, अनाज और अन्य चीजें खाती है। पहले वह खाना अच्छी तरह से चबाती है और धीरे-धीरे उसे पेट में निगल जाती है। दूध उत्पादन बढ़ाने तथा उसकी उत्पादन लागत कम करने के लिए गाय को सन्तुलित आहार देना चाहिए। संतुलित आहार में गाय की आवश्यकता के अनुसार समस्त पोषक तत्व होते हैं, वह सुस्वाद, आसानी से पचने वाला तथा सस्ता होता है। दूध उत्पादन में अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए, पशु को बारह मास पेट भर हरा चारा खिलाना चाहिए।

इससे दाने का खर्च भी घटेगा तथा गाय का नियमित प्रजनन भी होगा। गाय को आवश्यक खनिज लवण नियमित रूप से देने चाहिए। गाय को आवश्यक चारा- दाना- पानी नियत समय के अनुसार ही देना चाहिए। समय के हेर-फेर से भी उत्पादन प्रभावित होता है।

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गाय का धार्मिक महत्त्व भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है। ऐसी मान्यता है कि गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का निवास है। यही कारण है कि दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंखों आदि से श्रृंगार किया जाता है। प्राचीन भारत में गाय समृद्धि का प्रतीक मानी जाती थी। युद्ध के दौरान स्वर्ण, आभूषणों के साथ गायों को भी लूट लिया जाता था। जिस राज्य में जितनी गायें होती थीं उसको उतना ही सम्पन्न माना जाता है। कृष्ण के गाय प्रेम को भला कौन नहीं जानता। इसी कारण उनका एक नाम गोपाल भी है।

हिंदू धर्म में यह माना जाता है की गौ-दान सबसे बड़ा दान होता है। गौ-दान से मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है। हिंदुओं के तीज-त्योहार बिना गौ के घी के पूरे नहीं होते। तीज-त्योहार के दिन घर को गौ के गोबर से ही लीपा जाता है। उस पर देवताओं की प्रतिमाओं को बैठाया जाता है। कई लोग किसी जरूरी काम को करने से पहले गाय के दर्शन को बड़ा शुभ मानते हैं।

वहीं गाय के गोबर को खेती के लिए बहुत उपयोगी माना गया है। गाय को अमृत जैसे दूध देने व अन्य गुणों के चलते, इसे धरती माता के समान पूज्य माना गया है। इसीलिए गाय को गौ-माता कहा जाता है।   Top  

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गाय से प्राप्त होने वाले लाभ (i) गाय एक पालतू पशु है इसलिए इसे घरों में पाला जाता है और सुबह शाम इसका दूध निकाला जाता है एक गाय एक समय में 5 से लेकर 10 लीटर दूध देती है कुछ अलग नस्ल की गाय अधिक दूध भी देती है। (ii) बच्चों को विशेष तौर पर गाय का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है क्योंकि भैंस का दूध जहां सुस्ती लाता है, वहीं गाय का दूध बच्चों में चंचलता बनाए रखता है। माना जाता है कि भैंस का बच्चा (पाड़ा) दूध पीने के बाद सो जाता है, जबकि गाय का बछड़ा अपनी मां का दूध पीने के बाद उछल-कूद करता है। (iii) गाय का दूध बहुत ही पौष्टिक होता है। यह बीमारों और बच्चों के लिए बेहद उपयोगी आहार माना जाता है। (iv) गाय का दूध हमें मजबूत और स्वस्थ बनाता है। यह हमें संक्रमण और विभिन्न प्रकार की बीमारियों के प्रति हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत कर देता है। यह हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। (v) गाय के दूध के नियमित रूप से सेवन करने से हमारा दिमाग तेज और याददाश्त मजबूत हो जाती है। (vi) इसके दूध से कई तरह के पकवान बनते हैं। दूध से दही, पनीर, मक्खन और घी भी बनाता है। (vii) गाय के घी और गाय के गोमूत्र को बहुत पवित्र माना गया है और इसके गोमूत्र को आयुर्वेदिक औषधियों के रूप में उपयोग में लिया जाता है जो कि कई बड़ी बीमारियों को जड़ से खत्म करने में कारगर है. (viii) गाय का गोबर फसलों के लिए सबसे उत्तम खाद है। (ix) गाय के गोबर को सुखाकर इंधन के काम में लिया जाता है साथ ही गाय की गोबर का उपयोग खेतों में खाद के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। (x) गाय न सिर्फ अपने जीवन में लोगों के लिए उपयोगी होती है बल्कि मरने के बाद भी उसके शरीर का हर अंग काम आता है। गाय का चमड़ा, सींग, खुर से दैनिक जीवनोपयोगी सामान तैयार होता है। गाय की हड्‍डियों से तैयार खाद खेती के काम आती है।   Top   गाय की वर्तमान दशा अधिक दूध की मांग के आगे नतमस्तक होते हुए भारतीय पशु वैज्ञानिकों ने बजाय भारतीय गायों के संवर्द्धन के विदेशी गायों व नस्लों को आयात कर एक आसान रास्ता अपना लिया। इसके दीर्घकालिक प्रभाव बहुत ही हानिकारक हो सकते हैं। आधुनिक गोधन जिनेटिकली इंजीनियर्ड है। इन्हें मांस व दूधउत्पादन अधिक देने के लिए सुअर के जींस से बनाया गया है। भारतीय नस्ल की गायें सर्वाधिक दूध देती थीं और आज भी देती हैं। ब्राजील में भारतीय गोवंश की नस्लें सर्वाधिक दूध दे रही हैं। अंग्रेजों ने भारतीयों की आर्थिक समृद्धि को कमजोर करने के लिए षड्यंत्र रचा था।

ज्योतिष शात्र के अनुसार भारतीय गोवंश की रीढ़ से सूर्य केतु नामक एक विशेष नाड़ी होती है, जब इस पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं, तब यह नाड़ी सूर्य किरणों के तालमेल से सूक्ष्म स्वर्ण कणों का निर्माण करती है। यही कारण है कि देशी नस्ल की गायों का दूध पीलापन लिए होता है। इस दूध में विशेष गुण होता है। विदेशी नस्ल की गायों का दूध त्याज्य है। ध्यान दें कि अनेक पालतू पशु दूध देते हैं, पर गाय का दूध को उसके विशेष गुण के कारण सर्वोपरि पेय कहा गया है। राजनीतिक पार्टियां जिस गाय माता के नाम से वोट बटोरने का काम करती है आज उस गाय माता की दशा को देखकर क्षेत्र के कोई भी नेता में राजनेता शुद्ध तक लेने को तैयार नहीं है। हर गांव गली मोहल्ले व बाजारों में गाय माता की दशा में कोई विचार नहीं कर रहा है। किसान के पास अत्यधिक खेती होने के कारण किसान गाय माता के डंडा मारकर शहरों की ओर धकेलते नजर आते हैं, वहीं दूसरी ओर शहरों में स्थित दुकानों के सामने गाय के भूखे रहने के कारण इधर-उधर अपना निवाला देखने में ही दुकानदार भी गाय माता को डंडा मारकर भगाते नजर आ रहे हैं। वर्तमान में ना तो सरकार इन गायों की सुध ले रही है और ना ही किसान। बस स्टैंड पर और मुख्य रोड़ों के बीचों-बीच गायों के झुण्ड बैठने से आवागमन में बाधा नजर आती है फिर भी प्रशासनिक अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के आंखें व कान दोनों ही गाय माता के निवाले तक की व्यवस्था नही कर सकते।

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  उपसंहार गाय शांतिप्रिय और पालतू पशु है। हमारे भारत में गाय को माँ का दर्जा इसीलिए दिया गया है, क्योंकि यह हमें जीवन भर कुछ ना कुछ देती ही रहती है। हम अपने स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए रोज गाय का दूध पीते हैं। डॉक्टर मरीजों को हमेशा गाय का दूध पीने की सलाह देते हैं।

गाय का दूध नवजात शिशुओं के लिए अच्छा व आसानी से पच जाने वाला भोजन है। यह स्वभाव से बहुत ही सीधा पशु होता है। हमें इसके जीवन से कुछ सीख लेनी चाहिए और हमेशा अपने जीवन को शांतिपूर्ण तरीके से जीना चाहिए और दूसरे लोगों से अच्छा व्यवहार करना चाहिए।

दुर्भाग्य से शहरों में जिस तरह पॉलिथिन का उपयोग किया जाता है और उसे फेंक दिया जाता है, उसे खाकर गायों की असमय मौत हो जाती है। इस दिशा में सभी को गंभीरता से विचार करना होगा ताकि हमारी ‘आस्था’ और ‘अर्थव्यवस्था’ के प्रतीक गोवंश को बचाया जा सके। कुल मिलाकर गाय का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व है। गाय आज भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।

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गाय पर निबंध (Cow Essay in Hindi)

गाय

गाय का उल्लेख हमारे वेदों में भी पाया जाता है। गाय को देव तुल्य स्थान प्राप्त है। कहते हैं कि गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। गाय को पालने का चलन बहुत पुराना है। अगर घर में गाय का वास होता है उस घर के सारे वास्तु-दोष अपने आप खत्म हो जाते हैं। इतना ही नहीं, उस घर में आने वाली संकट भी गाय अपने ऊपर ले लेती है। ऐसी मान्यताएं प्रचलित है।

गाय पर छोटे – बड़े निबंध (Short and Long Essay on Cow in Hindi, Cow par Nibandh Hindi mein)

गाय पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

गाय एक पालतु पशु है। प्राचीन काल से ही गौ माता को देवी समान समझा जाता है। हर मंगल कार्य में गाय के ही चीजों का प्रयोग होता है। यहां तक की गाय के उत्सर्जी पदार्थ (गोबर, मूत्र) का भी इस्तेमाल होता है। जिसे पंचगव्य(दूध, दही, घी, गोबर, मूत्र) की उपमा दी गयी है। इन तत्वों का औषधिय महत्व भी है। बहुत सारी दवाईयों के निर्माण में घी और गोमूत्र का इस्तेमाल किया जाता है।

गाय की शारीरिक संरचना

गाय की शारीरिक संरचना में गाय के दो सींग, चार पैर, दो आंखे, दो कान, दो नथुने, चार थन, एक मुंह और एक बड़ी सी पूँछ होती है। गाय के खुर उन्हें चलने में मदद करते हैं। उनके खुर जुते का काम करते है तथा चोट और झटकों आदि से बचाते है। गाय की प्रजातियां पूरे विश्व भर में पाईं जाती है। कुछ प्रजातियों में सींग बाहर दिखाई नहीं देते। दुग्ध उत्पादन में भारत का समुचे विश्व में पहला स्थान है। गाय का दूध बेहद लाभदायक और पौष्टिक होता है।

गाय के महत्व

भारत में गाय का पौराणिक, आर्थिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्त्व है। पुराणों के अनुसार गाय की हत्या वर्जित है, यह जघन्य पाप है। भगवान शिव की सवारी नंदी गाय है।  धार्मिक और सामाजिक तौर पर गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। गाय आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। गाय से हमें घी, दूध, गोबर आदि प्राप्त होते है।

भारत में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। और भी बहुत पालतु जानवर है, लेकिन उन सबमें गाय का सर्वोच्च स्थान है। हम सभी को गाय के पौराणिक और सामाजिक महत्त्व को समझना चाहिए। हम सभी को गाय का सम्मान करना चाहिए।

इसे यूट्यूब पर देखें : Cow Essay in Hindi

निबंध – 2 (400 शब्द)

गाय का दूध अति पौष्टिक होता है। नवजात शिशु भी, जिसे कुछ भी पिलाना मना होता है, उसे भी गाय का दूध दिया जाता है। शिशु से लेकर वृध्दावस्था तक हर उम्र के लोगों को गाय के दूध का सेवन करना चाहिए। बहुत से रोगों से लड़ने की ये हमें ताकत देता है। शिशुओं और रोगियों को विशेष रुप से इसे पीने की सलाह दी जाती है।

वैज्ञानिक भी इसके गुणों का बख़ान करते हैं। केवल दूध ही नहीं, इसके दूध से बने अन्य उत्पाद जैसे दही, मक्खन, पनीर, छाछ सभी डेयरी उत्पाद लाभदायक होते है। जहां पनीर खाने से प्रोटीन मिलता है। वहीं गाय का घी खाने से ताकत मिलती है। आयुर्वेद में तो इसका बहुत महत्व है। अगर किसी को अनिद्रा की शिकायत हो तो नाक में घी की केवल दो-दो बूंद डालने से यह बिमारी ठीक हो जाती है। साथ ही यदि रात में पैर के तलुओं में घी लगा कर सोया जाय तो बहुत अच्छी नींद आती है।

गाय के घृत का धार्मिक महत्व है। इससे हवन-पूजन आदि किया जाता है। और हमारे ऋषि-मुनि जो कुछ भी करते थे, उन सबके पीछे वैज्ञानिक कारण अवश्य होता था। जब गाय की घी और अक्षत(चावल) को हवन कुण्ड में डाला जाता है, तब अग्नि के सम्पर्क में आने पर बहुत सारी महत्वपूर्ण गैसें निकलती है, जो वातावरण के लिए उपयोगी होती हैं। गाय के घी में रेडियोधर्मी गैस को अवशोषित करने की अद्भुत क्षमता होती है। इतना ही नहीं हवन का धुआं वातावरण को शुध्द कर देता है। रुसी वैज्ञानिकों के शोध के अनुसार एक चम्मच गाय के घी को आग में डालने से लगभग एक टन ऑक्सिजन का निर्माण होता है। यह काफी हैरतअंगेज बात है।

गाय को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माना जाता है। जैसे हमारे देश के लिए गांवो का महत्व है, उसी प्रकार गांवो के लिए गायों का महत्व है। पिछले कुछ सालों से गाय के जीवन पर संकट के बादल मंडरा रहे है। इसका प्रमुख कारण है – प्लास्टिक।

शहरों में हर चीज हमें प्लास्टिक में ही मिलता है। जिसे हम प्रयोग के बाद कूड़े-कचरे में फेंक देते है। जिसे चरने वाली मासूम गायें खा लेती है, और अपनी ज़ान गवा देती हैं। हम सबको पता है कि प्लास्टिक नष्ट नहीं होता, इसलिए इसका प्रयोग सोच-समझ कर करना चाहिए। यह सिर्फ गायों के जीवन के लिए ही नहीं वरन् पर्यावरण के लिए भी जरुरी है।

निबंध – 3 (500 शब्द)

हमारे शास्त्रों में गायों को माता का दर्जा दिया गया है। गायो को पुजनीय माना जाता है। इसालिए तो भारतीय घरों में घर की पहली रोटी गौमाता को अर्पित की जाती है। प्राचीन समय में गांवो में गायों की संख्या से सम्पन्नता का आकलन किया जाता था।

ऐसा कहा जाता है कि गायों की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। और स्वर्ग में स्थान मिला था। हमारे पुराणों में भी गायों की महिमा का वर्णन किया गया है। पुराण में उल्लेख है कि माता कामधेनु सागर मंथन से प्रकट हुई थी। कामधेनु को सुरभि की संज्ञा दी गयी। कामधेनु को ब्रह्म देव अपने लोक ले गये थे। और फिर लोक कल्याण के लिए ऋषि-मुनियों को सौंप दिया था।

गाय के प्रकार

गाय भिन्न-भिन्न रंग-रुप और आकार की होती है। इनका कद छोटा भी होता है, तो लम्बा भी। इसकी पीठ चौड़ी होती है। जैसे हमारा देश विविध जलवायु लिए हुए है, उसी प्रकार पशु भी अलग-अलग जगहों पर अलग- अलग किस्म के पाएं जाते हैं। गाय भी इसका अपवाद नहीं है।

यह भारत की सर्वश्रेष्ठ प्रजाति है। यह मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब प्रांत में पाई जाती है। यह दूध व्यवसायियों की फेवरेट है, क्योंकि यह सालाना 2000-3000 लीटर तक दूध देती है। इसकी देखभाल अच्छी तरह की जाये तो कहीं भी रह सकती है।

यह मूलतः भारत के गुजरात के गिर के जंगलों में पाई जाती हैं। इसी कारण इसका नाम गिर पड़ा। यह भारत की सबसे दुधारु गाय है। यह सामान्यतः दिन के 50-80 लीटर दूध देती है। इसकी इस खासियत के कारण विदेशों में भी इसकी भारी माँग रहती है। इजराइल और ब्राजील में इसे विशेषतः पाला जाता है।

3) लाल सिंधी

इसके लाल रंग के कारण ही इसका नाम लाल सिंधी है। चूंकि सिंध प्रांत इसका मूल स्थान है, लेकिन अब ये कर्नाटक तमिलनाडू में भी पाई जाने लगी है। यह भी सालाना 2000-3000 लीटर तक दूध देती है।

4) राठी नस्ल, कांकरेज, थारपरकर

यह राजस्थान की जानी-मानी नस्ल है। इसका नाम राठस जनजाति के नाम पर पड़ा है। यह हर दिन 6-8 लीटर दूध देती है। कांकरेज राजस्थान के बाड़मेर, सिरौही और जालौर में अधिक मिलती है। वहीं थारपरकर जोधपुर और जैसलमेर में अधिक दिखती है।

5) दज्जल और धन्नी प्रजाति

यह तीनों प्रजातियां पंजाब में पाई जाती हैं। यह काफी फुर्तीली मानी जाती है। धन्नी प्रजाति ज्यादा दूध नहीं देती। किन्तु दज्जल देती हैं।

6) मेवाती, हासी-हिसार

यह हरियाणा की प्रमुख नस्लें हैं। मेवाती का उपयोग कृषि कार्य में ज्यादा किया जाता है। जबकि हासी-हिसार हरियाणा के हिसार क्षेत्र में मिलती हैं।

गाय का भोजन बहुत ही साधारण होता है। यह शुध्द शाकाहारी होती है। यह हरी घास, अनाज, चारा आदि चीजें खाती हैं। इसे कोई भी साधारण परिवार आराम से पाल सकता है। गायों को मैदानों की हरी घास चरना बहुत पसंद होता है। गाय के दूध से खाने की बहुत सारी चीजें बनती है। गाय के दूध से दही, मक्खन, छाछ, पनीर, छेना और मिठाइयां आदि बनायी जाती है। इसका दूध काफी सुपाच्य होता है। यह हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, अनेक रोगों से लड़ने की शक्ति देता है।

Cow Essay

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गाय पर निबंध (Essay on Cow in hindi) - गाय पर निबंध 100 शब्दों में यहाँ देखें

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भारत में गाय का कितना महत्व है, यह इस बात से पता चलता है कि गाय की पूजा की जाती है। किसी भी पूजा से पहले गांव-घरों में गाय के गाेबर से लिपा जाता है। गाय का दूध स्वास्थ के लिए अच्छा माना जाता है और गाय भारत की एक महत्वपूर्ण पशु है। हिंदू धर्मावलंबियों के लिए यह पूज्यनीय है और इसे गौ माता की संज्ञा दी गई जाती है। जब मुद्रा प्रचलन में नहीं हुआ करती थी तो वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए गायों का प्रयोग होता था। कृषि प्रधान भारतीय अर्थव्यवस्था में गायों काो सदैव प्रमुख स्थान रहा है। यही वजह है कि छोटी कक्षाओं के छात्रों के अंदर गाय को लेकर जागरूकता हो, इस सोच के साथ उन्हें गाय पर निबंध (Essay on Cow in hindi) लिखने के लिए प्रेरित किया जाता है।

गाय पर निबंध (Hindi Essay on Cow) - गाय पर निबंध 100 शब्दों में (100 Words Essay On Cow)

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गाय पर निबंध (Essay on Cow in hindi) - गाय पर निबंध 100 शब्दों में यहाँ देखें

कई बार परीक्षा में भी महत्वपूर्ण अंकों के लिए गाय पर निबंध (Essay on Cow in hindi) लिखने से संबंधित प्रश्न स्कूली छात्रों से पूछे जाते हैं। साथ ही कई ऐसे भी छात्र होते हैं जिनकी हिंदी विषय पर पकड़ बेहद कमजोर होती है, ऐसे में उन्हें गाय पर निबंध हिंदी में (Essay on Cow in hindi) लिखने में परेशानी महसूस हो सकती है। वहीं कइयों को निबंध लिखने से संबंधित प्रारूप की सटीक जानकारी नहीं होती है, ऐसे में उनके लिए गाय पर निबंध (Essay on Cow in hindi) लिखना एक कठिन कार्य बन जाता है।

यदि आप ऊपर बताए गए किसी भी कारण की वजह से गाय पर निबंध (Essay on Cow in hindi) ऑनलाइन तलाश रहे हैं, तो ऐसा समझ लीजिए कि आज आपकी यह तलाश खत्म हो गई है क्योंकि आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। गाय पर निबंध (gaay par nibandh) विशेष इस लेख की सहायता से न सिर्फ आपको गाय पर निबंध (Essay on Cow in hindi) लिखने में सहायता मिलेगी, बल्कि इस लेख के माध्यम से आप अन्य किसी भी लेख को लिखने के तरीके को भी जान व समझ सकते हैं। हालांकि हम आपसे अनुरोध करते हैं कि गाय पर निबंध (Essay on Cow in hindi) विशेष इस लेख को पूरी तरह से कॉपी करने से बचें। इसकी जगह पर आप गाय पर निबंध (Cow Essay in hindi) को लिखने के तरीके व मर्म को समझकर स्वयं ही गाय पर हिंदी में निबंध (Essay on Cow in hindi) लिखने की कोशिश करें। इससे आपको जीवन में फिर कभी किसी लेख को लिखने में समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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गाय भारत के एक बेहद महत्वपूर्ण पशु में से एक है जिस पर न जाने कितने ही लोगों की आजीविका आश्रित है क्योंकि गाय के शरीर से प्राप्त होने वाली हर वस्तु का उपयोग भारतीय लोगों द्वारा किसी न किसी रूप में किया जाता है। न सिर्फ आजीविका के लिहाज से, बल्कि आस्था के दृष्टिकोण से भी भारत में गाय एक महत्वपूर्ण पशु है क्योंकि भारत में मौजूद सबसे बड़ी आबादी यानी हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए गाय आस्था का प्रतीक है। यही वजह है कि गाय भारत में अन्य पशुओं के मुक़ाबले एक विशेष स्थान रखती है।

गाय हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण जानवरों में से एक हैं। उसे देवी स्वरूप में पूजा जाता है और यह कई हिंदू अनुष्ठानों और समारोहों का अभिन्न व महत्वपूर्ण हिस्सा है। गायों को एक ऐसे पशु के रूप में भी देखा जाता है जो हमें दूध, मक्खन, घी आदि प्रदान कर सकता है। यहां इस लेख में गाय पर निबंध (Essay on Cow in hindi) के कुछ उदहारण दिए गए हैं जिनकी सहायता लेकर आप गाय पर निबंध (Essay on Cow in hindi) सहित अन्य निबंधों को भी आसानी से लिख सकते हैं।

गाय एक पालतू पशु है। सभी पशुओं में गाय को सबसे भोली तथा दयालु जानवर माना जाता है। गाय एक चौपाया जानवर है। इसकी एक नाक, एक मुँह, दो आँखें, दो कान तथा दो सींग होते हैं। यह एक शाकाहारी जानवर है। ये मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी हैं। गायें हमें दूध देती हैं जो हमारे भोजन में पौष्टिक आहार का एक प्रमुख श्रोत है। गाय दुनिया भर में दूध की प्राथमिक स्रोत है। गायों से मिलने वाले दूध के कारण हम स्वस्थ और मजबूत रहते हैं। दूध विभिन्न बीमारियों की रोकथाम सहित हमें कई और स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। साथ ही यह हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करता है। दूध से कई और उत्पाद बनाए जाते हैं, जिनमें मक्खन, मिठाई, दही, पनीर, खोया आदि प्रमुख हैं।

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भारत की बहुसंख्यक आबादी हिंदू धर्म में आस्था रखती है। हिंदू धर्म में गायों को एक पवित्र पशु का दर्जा प्राप्त है। हिन्दू धर्म के अनुयायियों के अनुसार गाय देवी स्वरूप है तथा पूजनीय है। यहाँ तक कि हिन्दू धर्म में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। इस वजह से, लोग अक्सर गाय को "गौ माता" के रूप में भी संबोधित करते हैं। हिंदू अनुयायी गौहत्या को पाप मानते हैं। हालांकि, बहुसंख्यकों के आस्था का प्रतीक होने के बावजूद भी कई गायें भारत में ऐसी भी हैं, जो बेहद बुरी परिस्थितियों में रह रही हैं। कई गायों को काम का ना रहने पर सड़कों पर भटकने के लिए छोड़ दिया जाता है, जिसकी वजह से वे कई बार दुर्घटनाओं व बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं और उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है। हालांकि भारत में आजकल कई ऐसे समूह हैं जिनका ध्यान केवल गौ रक्षा पर ही है। वे गायों को नुकसान से बचाने का प्रयास करते रहते हैं, पर इसके बावजूद भी भारत में गायों की जमीनी हकीकत बेहद जुदा है। इसके अलावा, गायों को किसी भी अन्याय से बचाने के लिए सरकार की तरफ से भी काफी सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। इनकी रक्षा के लिए सरकार के अलावा भी कई लोग गठबंधन बनाकर सकारात्मक दिशा में काम रहे हैं।

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गाय के दूध का उपयोग दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ और घरेलू सामान के उत्पादन के लिए किया जाता है। गाय के दूध का उपयोग दही, मट्ठा, पनीर, घी, मक्खन, विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ, खोया, पनीर आदि जैसे उत्पादों की एक पौष्टिक एवं विशाल खाद्य श्रृंखला के निर्माण के लिए किया जाता है। पाचन संबंधी समस्याओं से परेशान रहने वाले रोगी भी गाय के दूध का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इसे बेहद सुपाच्य खाद्य पदार्थ माना जाता है। गाय का दूध हमें शारीरिक रूप से मजबूत और पोषित करता है। यह तक कि यह हमें कई तरह की बीमारियों और संक्रमणों से भी बचाता है। यह रोग के खिलाफ हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है। लोग गाय के गोबर का उपयोग वास्तव में एक समृद्ध उर्वरक के रूप में करते हैं। यह ईंधन और बायोगैस का भी एक बेहतरीन उत्पादक है। गाय के गोबर का उपयोग कीट विकर्षक के रूप में भी किया जाता है। लोग इसका उपयोग भवन निर्माण सामग्री और कागज बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में भी करते हैं। आयुर्वेद में गौमूत्र का उपयोग भी कई तरह की बीमारियों के उपचार में किया जाता रहा है।

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हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए गाय सबसे महत्वपूर्ण जानवरों में से एक हैं। इन्हें बेहद पवित्र माना जाता है और अक्सर इन्हें विशेष सम्मान भी दिया जाता है। गाय अर्थव्यवस्था के लिहाज से भी एक महत्वपूर्ण जानवर है। इसकी वजह से हमें दूध, पनीर और अन्य डेयरी उत्पाद प्राप्त होते हैं। हालांकि, भारत में गायों के प्रति मानवीय संवेदना का बड़ा महत्व है। वे सभी लोग जो गौपालक हैं, उनसे उम्मीद की जाती है कि वे गायों के खानपान का अच्छी तरह से ध्यान रखें और साथ ही उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार करें। गाय ना सिर्फ पवित्र प्राणियों के रूप में पूजनीय है, बल्कि उनका आर्थिक महत्व भी बहुत अधिक है। ये हमें दूध, मक्खन, घी, दही और पनीर प्रदान करती है। इनका उपयोग खेतों की जुताई और माल के परिवहन के लिए भी किया जाता है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में भारत में 300 मिलियन से अधिक गायें रह रही हैं। गाय अपने धार्मिक महत्व के अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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गाय हिंदू धर्म के अनुयायियों के बीच सबसे अधिक पाले जाने वाले जानवरों में से एक हैं और साथ ही उन्हें पवित्र भी माना जाता है। हिंदुओं का मानना है कि गाय समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है। गाय को धरती माता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है और इसे देवी के रूप में पूजा जाता है। गायों को भोजन और आय के स्रोत के रूप में भी देखा जाता है और उनके प्रति मानवीय व्यवहार अपेक्षित है। गाय कई हिंदुओं की आजीविका के लिए आवश्यक है और वह कई हिंदू समारोहों और अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। गायों के साथ कभी भी दुर्व्यवहार या उन्हें किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए, क्योंकि उन्हें पवित्र प्राणी के रूप में देखा जाता है। हिंदुओं का मानना है कि गाय को नुकसान पहुंचाना धरती माता को नुकसान पहुंचाने के समान है। इसलिए, हिंदू धर्म के अनुयायी गायों की बेहद देखभाल और उनका अत्यंत सम्मान करते हैं।

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अफसोस की बात है कि सभी गायों के साथ मानवीय व्यवहार नहीं किया जाता है। कई गायें बेहद तंग और गंदी परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं। वे अक्सर कुपोषित और निर्जलित होती हैं। उनके बछड़ों को जन्म के कुछ ही समय बाद ही उनसे छीन लिया जाता है, जिससे उन्हें बहुत कष्ट होता है। कभी-कभी, मांस के लिए उनका क्रूर तरीकों से कत्ल भी किया जाता है। यह महत्वपूर्ण है कि हम गायों के साथ दया और सम्मान के साथ व्यवहार करें। भारत में गायों के प्रति मानवीय व्यवहार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। डेयरी उत्पादों, मांस और चमड़े के लिए उनका लगातार शोषण किया जाता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके पास जीवन की गुणवत्ता अच्छी हो और उन्हें किसी भी तरह की अनावश्यक पीड़ा को ना उठाना पड़े। हिंदुओं का मानना है कि गायों का सम्मान और देखभाल करना महत्वपूर्ण है। भारत में कई ऐसे कानून हैं जो गायों को दुर्व्यवहार से बचाते हैं।

जहां गाय को हिंदू धर्म में सभी जानवरों के बीच उच्च स्थान प्राप्त है, वहीं वे आर्थिक तौर से भी काफी विशेष मानी जाती हैं। गायें दूध, मक्खन और घी जैसे डेयरी उत्पाद की प्राथमिक स्रोत है, जो भारत में दैनिक आहार का मुख्य हिस्सा है। गायों से प्राप्त होने वाले डेयरी उत्पाद भारत में कई परिवारों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है। इसके अलावा, गायों से प्राप्त गोबर का उपयोग खाद बनाने के लिए किया जाता है, जो फसलों के लिए एक उत्कृष्ट प्राकृतिक खाद है। गायों के चमड़े का उपयोग जूते, बेल्ट और अन्य सामान बनाने के लिए भी किया जाता है जिसकी दुनिया भर में मांग है।

हम उम्मीद करते हैं कि गाय पर निबंध (Essay on Cow in hindi) विशेष इस लेख से गाय पर निबंध (Essay on Cow in hindi) से संबधित आपकी सभी समस्याओं का सामाधान हो गया होगा। गाय पर निबंध (gaay par nibandh) के अलावा अन्य महत्वपूर्ण निबंधों को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

गाय के बारे में निबंध कैसे लिखा जाता है?

इस लेख में गाय पर निबंध के बारे में जानकारी दी गई है। छोटे बच्चों के लिए निबंध की शुरुआत इस प्रकार की जा सकती है। गाय एक सौम्य घरेलू जानवर है जिसे बहुत से लोग अपने खेतों में पालते हैं। ये जानवर अपने शांतिपूर्ण स्वभाव के लिए जाने जाते हैं और इन्हें अक्सर विभिन्न कारणों से पाला जाता है। गाय के चार पैर और बड़ा शरीर होता है। उनके दो सींग, दो आंखें, दो कान, एक नाक और एक मुंह होता है।

इन्हें भी देखें -

सीबीएसई क्लास 10वीं सैंपल पेपर

यूके बोर्ड 10वीं डेट शीट

यूपी बोर्ड 10वीं एडमिट कार्ड

आरबीएसई 10वीं का सिलेबस

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